शनि के आठवें घर में होने पर जातक कुष्ठ या भगंदर रोग से पीडित रहता है। उसकी दीर्घायु होती है। यह जातक ज्योतिषी का ज्ञान रखता है एवं यह दार्शनिक या वक्ता होता है। यह तांत्रिक, भूत विद्या, काला जादू आदि जैसे कार्यों से धन कमाता है।
वेदिक ज्योतिष के अनुसार शनि के विभिन्न भावों में होने का फल