अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिला की उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित परशुराम कुंड की महिमा भक्तों के लिए अद्भुत है। माना जाता है कि यहां एक बार डुबकी लगाने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन सुखमय हो जाता है। मकर संक्रांति के अवसर पर कुंड में डुबकी लगाने का विशेष महत्व है। परशुराम कुण्ड को प्रभु कुठार के नाम से भी जाना जाता है। कुंड की प्रसिद्धि इतनी है कि अब यह लोहित की पहचान बन चुका है। पहाडियों में बसे इस कुंड के निकट मन को शांति का अहसास होता है। पश्चिमी समुद्र के किनारे सह्याद्रि की तराई में जिसने ब्राह्मणों को बसाया ऐसे भार्गव परशुराम ने सारे भारत की यात्रा करते-करते उत्तर-पूर्व सीमा तक पहुंचकर ब्रह्मकुंड के पास शांति पायी। यह है इस स्थान का माहात्म्य। जनवरी माह में हर साल परशुराम मेले का आयोजन होता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
पौराणिक कथा
किवदंती है कि पत्नी रेणुका द्वारा जल लाने में देरी करने से ऋषि जमादग्नि के आदेश पर परशुराम को मातृ हत्या का पाप लगा। तब परशुराम ने मातृ वध के पाप से मुक्त होने के लिए इस कुण्ड में स्नान किया था। तभी से यह कुण्ड स्थानीय निवासियों में लोकप्रिय हो गया। जिस प्रकार भगवान परशुराम के कुंड में डुबकी लगाने से उन्हें पापों से मुक्ति मिल गई उसी प्रकार आज भी जो भक्त सच्चे मन से कुंड में स्नान करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
अन्य पर्यटन स्थल
परशुराम कुंड के मनोरम दृश्य को श्रद्धालु हमेशा याद रखते हैं। ऊंचे पहाडों और ठंडी बहती नदियों के बीच पर्यटकों को खूब मजा आता है। यहां पर अनेक स्थल हैं जो प्राकृतिक सुंदरता के पास ले जाते हें। दोंग घाटी पर्यटकों के लिए बेहद सुंदर उपहार है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता अविस्मरणीय है। हरे-भरे वातावरण से घिरी ग्लो झील आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा छगलोगम, वालोंग, हवा कैंप, तेजू बोटानिकल गार्डन और तेजू पार्क घूम सकते हैं।
कैसे पहुंचे
अरूणाचल प्रदेश के सुप्रसिद्ध परशुराम कुंड पहुंचने के लिए मोहनबाड़ी हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। नजदीकी तिनसुकिया रेलवे स्टेशन है। यहां से बस-टैक्सी सुविधा उपलब्ध रहती है।