बिहार के पावापुरी में स्थित सुंदर एवं आकर्षक जल मंदिर में भगवान महावीर की चरण पादुका पूजनीय हैं। यह मंदिर एक प्रमुख जैन तीर्थस्थल है| कमल तालाब के बीचों-बीच बने इस मंदिर का सौंदर्य अद्भुत है। किंवंदतियों के अनुसार यही भगवान महावीर की निर्वाणभूमि है। विमान आकार में संगमरमर से बने इस मंदिर का भव्य स्वरूप श्रद्धालुओं और पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। तालाब में बने इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 600 फीट लम्बा पुल बनाया गया है। पावापुरी का यह पवित्र धाम आत्मा को परम् शांति प्रदान करता है। कैमूर की पहाड़ी पर बसा यह शहर जैन धर्म के मतावलंबियो के लिये एक अत्यंत पवित्र शहर है। पावापुरी मोक्ष की धरती है जो यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मोक्ष का महत्व बोध कराती है। जल मंदिर की निर्माण शैली का वर्णन शब्दों में करना कठिन है। कमल के फूलों से भरे तालाब के बीच इस मंदिर का दृश्य देखने मात्र से ही मन प्रसन्न हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्द्धन ने करवाया था।
जल मंदिर का महत्व
भगवान महावीर जैन धर्म के चौंबीसवें तीर्थंकर हैं, उनकी पावन स्मृति और अंतिम उपदेश के लिए यह पवित्रा स्थान जाना जाता है। तीर्थंकर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओत-प्रोत था। अपने अंतिम उपदेश में भी उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया था। भगवान महावीर का अंतिम उपदेश सुनने को सैंकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ पावापुरी में उमड़ पड़ी थी।
इस स्थान पर लिया था भगवान महावीर ने निर्वाण
अन्य दर्शनीय स्थल
भगवान महावीर को समर्पित विश्वप्रसिद्ध जल मंदिर के दर्शन को आए यात्री गांव मंदिर, समोशरण, सूरजपुर मंदिर, नव नालांदा विहार, द ग्रेट स्तूप, प्राचीन भारत पर्यटक संग्रहालय, बकरा मंदिर, बिहार शरीफ, कुंडलपुर, ह्यून सांग स्मारक, सूर्या मंदिर, सरीपुत्र स्तूप के दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
बिहार के पावापुर में स्थित जल मंदिर के दर्शन करने के लिए पटना का जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन पावापुरी रोड़ रेलवे स्टेशन है। यहां से बस-टैक्सी की सुविधा हर समय उपलब्ध रहती है।