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हिंदू पुराण में असुरों और देवताओं के बीच हुए समुद्र मंथन का विशेष महत्व है और इस मंथन में अहम् भूमिका निभाई थी 700 फीट ऊंचे मंदार पर्वत ने। बिहार के बांका जिले में स्थित 'मंदार पर्वत' को समुद्र मंथन में देवताओं ने मथानी बनाया था। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन में नाग को रस्सी की तरह प्रयोग किया गया था, जिसका साक्ष्य पहाड़ पर अंकित लकीरों से होता है। पर्वत पर एक समुद्र मंथन को दर्शाता हुआ स्मारक भी बनाया गया है। हिंदुओं के लिए यह पर्वत भगवान विष्णु का पवित्र आश्रय स्थल है तो जैन धर्म को मानने वाले लोग प्रसिद्ध तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य से इसे जुड़ा मानते हैं। मंदराचल के नाम से प्रसिद्ध प्राचीन मंदार पर्वत आस्था का केंद्र है व पूजनीय है। पर्वत शिखर पर है भगवान वासु पूज्य की पौराणिक प्रतिमा व मंदिर है जिसके दर्शन को जैन एवं हिंदू धर्म के अनुयायी आते हैं। पर्वत के शिखर पर जैन और हिंदू धर्म के प्राचीन मंदिर प्रसिद्ध हैं। लोकमान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन पापहरणि तालाब में स्नान करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है।
मंदिर का इतिहास
मंदार के सर्वोच्च शिखर पर एक मंदिर है, जिसमें एक प्रस्तर पर पद चिह्न अंकित है। बताया जाता है कि ये पद चिह्न भगवान विष्णु के हैं। किंतु जैन धर्म के अनुयायी इसे प्रसिद्ध तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य के चरण चिह्न बतलाते हैं और पूरे विश्वास और आस्था के साथ दूर-दूर से इनके दर्शन करने आते हैं। इसके अलावा पूरे पर्वत पर यत्र-तत्र अनेक सुंदर मूर्तियां हैं, जिनमें शिव, सिंह वाहिनी दुर्गा, महाकाली, नरसिंह आदि की प्रतिमाएं प्रमुख हैं।
इस स्थान पर लिया था भगवान महावीर ने निर्वाण
अन्य दार्शनिक स्थल
मंदार पर्वत के शिखर से प्रकृति का मनोरम सौंदर्य दिखाई देता है। पहाड़ की कठिन चढ़ाई के बाद पर्वत का प्राचीन इतिहास एवं महत्व यात्रियों के मन को खुश कर देता है। प्रकृति प्रेमी और श्रद्धालु बिहार के भागलपुर में विक्रमशिला भग्नावशेष, घुरन पीर बाबा, अजगईबीनाथ मंदिर, बुरहानाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
बिहार के भागलपुर में स्थित मंदार पर्वत के मंदिर के दर्शन करने के लिए पटना का जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। नजदीकी रेलवे स्टेशन भागलपुर जंक्शन है। यहां से बस-टैक्सी की सुविधा हर समय उपलब्ध रहती है।