भारत के प्राचीनतम मंदिरों में बिहार के कैमुर जिले में स्थित मां मुंडेश्वरी का अपना अलग महत्व है। लगभग 1900 सालों से निरंतर इस मंदिर में मां की पूजा होती आ रही है। पवरा पर्वत पर यह मंदिर समुद्र तल से 608 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। प्राचीन समय में पवरा पर्वत को मुंडेश्वर पर्वत के नाम से जाना जाता था। मुंडेश्वर पर्वत पर स्थित देवी को समर्पित यह मंदिर मुंडेश्वरी के नाम से जाना जाता है।
मंदिर का आकर्षण व महत्व
मंदिर की प्राचीनता व भव्यता के अतिरिक्त इस मंदिर का सबसे बडा आकर्षण पंचमुखी शिवलिंग है। शिवलिंग को लेकर ऐसी मान्यता है कि यह शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। इस मंदिर में सात्विक बली दी जाती है। भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त देवी को पशु बलि देकर खुश करते हैं, इस स्थल पर पशुओं को मारा नही जाता। देवी पूजन करने के बाद पशु को उसके मालिक के पास पुन: छोड दिया जाता हैं।
मन्दिर स्थापना काल
मंदिर का निर्माण कब हुआ था इसे स्पष्ट रूप से नहीं बताया जा सकता लेकिन पुरातत्व के जानकारों का मानना हैं की इस मंदिर का निर्माण 635-636 ईस्वी के बीच हुआ था। इस स्थान पर प्राप्त शिलालेख ब्राह्मी लिपि में लिखे गये हैं जिसके अनुसार इसे गुप्त काल में लगभग 300 ईo के दौरान बनाया गया था, जबकी बौध धर्म के अनुसार इस मंदिर का निर्माण काल 101 ईo के लगभग का है।
ग्रीन सिटी भभुआ- कैमुर का प्रशासनिक मुख्यालय भभुआ अपनी सुंदरता से आपको अवश्य मोह लेगा। जिस तरह से जयपुर की पिंक सिटी प्रसिद्ध है उसी तरह से ग्रीन सिटी के रूप में इस स्थल को जाना जाता है। चारों तरफ आपको सिर्फ हरा ही हरा दिखेगा। इसके अतिरिक्त दुरौली, बैजनाथ का प्राचीन मंदिर महज 9 किलो मीटर दूर है।
कैसे पहुंचे
यहां का निकटतम हवाई अड्डा पटना में स्थित जयप्रकाश नाारायण हवाई अड्डा है। यहां की ट्रैन सुविधा कुदरा स्टेशन तक है, उसके बाद का मार्ग महज आधे घंटे के लगभग है। इसके अतिरिक्त टैक्सी-बस की सुविधायें हर समय उपलब्ध हो जाती हैं।