पवित्र मोक्ष की भूमि गया में स्थित प्रपिता महेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित प्रमुख वैष्णव मंदिर है। महेश्वर मंदिर में शिव ‘लिंगम्’ रूप में आराध्य हैं। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं को मोक्ष और अनेक रोगों से छुटकारा मिलता है। अग्नि पुराण में वर्णित इस प्राचीन मंदिर में पूर्वजों को पिंडदान दिया जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 11वीं सदी में पाला राजवंश के नेतृत्व में की गई। वर्तमान मंदिर का स्वरूप 14वीं शताब्दी में किए गए पुनरूद्धार कार्य का फलस्वरूप है। काले पत्थरों से बना यह भव्य मंदिर दो पर्वत श्रृंख्लाओं ब्रह्मयोनि और वसमाकुटा के निकटस्थ स्थित है। विशाल पत्थरों के स्तंभों से मंडित है मंदिर के प्रांगण में बना सभामंडप जो इसकी भव्यता को बढ़ाता है।
गया का महत्व
वैदिक परंपरा और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पितरों के लिए श्राद्ध करना एक महान और उत्कृष्ट कार्य है। गया पितृदान के लिए भी प्रसिद्ध है। गया में किए गए श्राद्ध की महिमा का गुणगान तो भगवान राम ने भी किया है। कहा जाता है कि भगवान राम और सीताजी ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था। मान्यता के मुताबिक पुत्र का पुत्रत्व तभी सार्थक माना जाता है जब वह अपने जीवन काल में जीवित माता-पिता की सेवा करे और उनके मरणोपरांत उनकी मृत्यु तिथि तथा महालय (पितृपक्ष) में उसका विधिवत् श्राद्ध करे। पितृपक्ष के अवसर पर यहाँ हज़ारों श्रद्धालु पिंडदान के लिये जुटते हैं।
अन्य दर्शनीय स्थल
लिंगम् रूप में पूजनीय भगवान शिव के स्थान आए श्रद्धालु महाबोधि मंदिर, दुंगेश्वरी गुफा मंदिर, बाराबर गुफा, बोधि वृक्ष, चीनी मंदिर और मठ, बोधगया पुरातत्व स्मारक, मुचालिंडा नदी, थाई मंदिर और मठ, शाही भूटान मठ, कोटेश्वर नाथ मंदिर, मंगला गौरी मंदिर, ब्रह्मयोनि मंदिर, नागकुट, सुदामा गुफा, सूर्यकुंड और प्रेतशिला पर्वत के दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
बिहार के गया में स्थित प्रपिता महेश्वर मंदिर के दर्शन करने के लिए गया हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन गया जंक्शन रेलवे स्टेाशन है। यहां से बस-टैक्सी की सुविधा हर समय उपलब्ध रहती है।