मोक्ष की नगरी के नाम से प्रसिद्ध गया में स्थित विष्णुपद मंदिर का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। फल्गु नदी के पश्चिमी किनारे पर स्थित इस मंदिर का निर्माण भगवान विष्णु के पदचिन्हों पर किया गया है। प्राचीन मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा है और उसके नीचे ही उनके पद यानि चरण हैं। ऐसा माना जाता है कि इस मन्दिर को 40 सेमी लम्बे भगवान विष्णु के पैरों अर्थात् धर्मशिला के चारों ओर बनाया गया था। लोककथा के अनुसार गयासुर नाम के राक्षस को भगवान विष्णु द्वारा अपने दाहिने पैर से धरती के नीचे धक्का देने के बाद उनके पैरों के निशान सतह पर रह गये जिसके चारों ओर ही मन्दिर की स्थापना हुई। काले पत्थर से बना यह सुन्दर और चित्ताकर्षक मन्दिर श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मान्यता है कि इस मंदिर में इस तीर्थ का नाम हृदय में रखकर आप हाथ पसारिये आपके हाथ में दो एक बून्द पानी जरूर गिरेंगी।
गया का महत्व
गया पर पालनहार विष्णु जी का आशीर्वाद और परमपिता ब्रह्मा जी का वरदान है। गया शहर इतना पवित्र है कि यहाँ स्वयं भगवान राम ने अपने पितरों का पिंडदान किया था। प्राचीन ग्रंथों में वर्णन है कि भगवान राम अपने पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करने के लिए गया आए थे और देवी सीता भी उनके साथ थी। गया, बौद्ध धर्म के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यही वह स्थान है जहाँ भगवान बुद्ध ने 1000 ग्रामवासियों को जो अग्नि पूजक थे उन्हें आदित्यपर्याय सूत्र का उपदेश दिया था।
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अन्य दर्शनीय स्थल
भगवान विष्णु को समर्पित विष्णुपद मंदिर के दर्शन को आए श्रद्धालु महाबोधि मंदिर, दुंगेश्वरी गुफा मंदिर, बाराबर गुफा, बोधि वृक्ष, चीनी मंदिर और मठ, बोधगया पुरातत्व स्मारक, मुचालिंडा नदी, थाई मंदिर और मठ, शाही भूटान मठ, कोटेश्वर नाथ मंदिर, मंगला गौरी मंदिर, ब्रह्मयोनि मंदिर, नागकुट, सुदामा गुफा, सूर्यकुंड और प्रेतशिला पर्वत के दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
बिहार के गया में स्थित विष्णुपद मंदिर के दर्शन करने के लिए गया हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन गया जंक्शन रेलवे स्टेशन है। यहां से बस-टैक्सी की सुविधा हर समय उपलब्ध रहती है।
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