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Bhoramdeo Mandir

खजुराहो और कोणार्क से कम नहीं है इस मंदिर का सौंदर्य

छत्‍तीसगढ़ के भोरमदेव मंदिर का सौंदर्य खजुराहो और कोणार्क से कम नहीं है। सुंदर और विशाल सरोवर के किनारे निर्मित इस मंदिर के चारों ओर फैली पर्वत श्रृंखलाएं और हरी-भरी घाटियां पर्यटकों का मन मोह लेती हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर शिव की विविध लीलाओं, विष्‍णु के अवतारों व गोवर्धन पर्वत उठाए श्रीकृष्‍ण का सुंदर चित्रांकन है। अप्सरायें और सुर सुंदरियां विभिन्न मुद्राओं में अंगड़ाई लेती हुई जीवंत नजर आती हैं। ये मूर्तियां जहां सृष्टि के विकास का संकेत हैं तो दैहिक और आत्मिक समरसता का संदेश देती हैं। नागर शैली में निर्मित इस मंदिर को ‘छत्‍तीसगढ़ का खजुराहो’ भी कहा जाता है। पाँच फुट ऊंचे चबूतरे पर बने इस मंदिर में तीन द्वार से प्रवेश किया जा सकता है।

इसके मंडप के बीच मे मे 4 स्‍तंभ हैं तथा किनारे की ओर 12 स्‍तंभ हैं जिन पर सुंदर एवं कलात्‍मक नक्‍काशी की गई है। मंडप में देवी लक्ष्‍मी, भगवान विष्‍णु के साथ एक ध्‍यानस्‍थ राजपुरूष की मूर्ति भी रखी हुई है। मंदिर का मुख्‍य आकर्षण है नृत्‍य की मुद्रा में अष्‍टभुजाओं वाली गणेश जी की भव्‍य मूर्ति जो सभी का ध्‍यान अपनी ओर खींचती है। भोरमदेव मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्‍दी में फणी नागवंशियों के छटे शासक गोपाल देव के शासन काल में लक्ष्‍मण देव नामक राजा ने करवाया था। कहा जाता है कि शिव के ही एक अन्‍य रूप भोरमदेव गोंड समुदाय के उपासक देव थे जिनके नाम से यह स्‍थल प्रसिद्ध हुआ।

क्‍या देखें

छेरकी महल

इस मंदिर की खासियत है कि इसके पास जाने पर बकरियों के शरीर से आने वाली गंध आती है। अत: यह मंदिर बकरी चराने वालों को समर्पित है।

मड़वा महल

दूल्हादेव मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इसकी बाहरी दीवारों पर 54 मिथुन मूर्तियों का अंकन अत्यंत कलात्‍मकता से किया गया है जो कि आंतरिक प्रेम और सुंदरता को प्रदर्शित करती है।

जनजातीय संस्‍कृति, स्‍थापत्‍य कला और प्राकृतिक सुंदरता से युक्‍त छत्‍तीसगढ़ में अनेक प्राचीन और ऐतिहासिक धरोहरे हैं जिन्‍हें पर्यटक देखने को लालायित रहते हैं। इटैलियन मार्बल से बना कवर्धा महल पर्यटकों को तारीफ करने पर मजबूर कर देता है। प्रवेश द्वार पर हाथी दरवाजा भी आकर्षित करता है। इसके अतिरिक्‍त श्री राजीव लोचन मंदिर, कैलाश और कोतूमसर गुफा, केवल्‍य धाम जैन मंदिर, गांधी उद्यान पार्क, लक्ष्‍मण मंदिर आदि दर्शनीय स्‍थान हैं।

छत्तीसगढ़ के इस प्राचीन मंदिर को देखना ना भूलें

कैसे पहुंचे

हवाई अड़डा -: भोरमदेव मंदिर से 134 किमी की दूरी पर रायपुर हवाई अड्डा है जो मुंबई, दिल्ली, नागपुर, भुवनेश्वर, कोलकाता, रांची, विशाखापट्नम एवं चेन्नई से जुड़ा हुआ है।

रेलवे स्‍टेशन -: हावड़ा-मुंबई मुख्य रेल मार्ग पर रायपुर (134किमी) समीपस्थ रेल्वे जंक्शन है। बिलासपुर और जबलपुर रेलवे स्‍टेशन 150 किमी की दूरी पर हैं। 

सड़क मार्ग -: यहां निजी वाहन, बस या टैक्‍सी द्वारा जाया जा सकता है। कवर्धा, रायपुर, बिलासपुर, भिलाई, और जबलपुर से दैनिक बस सेवा एवं टैक्सियां उपलब्ध हैं।

अन्‍य मंदिर

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