गुजरात में जूनागढ़ के निकट 3,500 फुट ऊंचे गिरनार के पर्वत गगनचुम्बी पर्वत मालाओं के बीच परिनिर्मित यह पावन तीर्थ जैन धर्म और हिन्दू धर्म दोनों का आराध्य स्थल है। ऊंची पर्वत श्रृंख्लाओं से निकट परिदृश्य अत्यंत खूबसूरत लगता है। गिरनार की ऊंची-ऊंची चोटियां सदा ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती रहीं हैं। इसके पांच शिखरों पर 866 हिंदू और जैन मंदिर स्थित हैं। नैसर्गिक सौंदर्य के धनी गिरनार के पर्वत अपने मनोरम परिवेश के कारण यहां आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेते हैं। मान्यता है कि गिरनार के पर्वत की पूजा करने से मनुष्य इस जीवन के साथ-साथ भविष्य के जीवन में भी गरीबी से मुक्ति पा लेता है। इसके दर्शन से पीड़ादायक कुष्ठ रोगों से मुक्ति मिलती है।
अंबामाता का मंदिर
अंबामाता चोटी पर स्थित है अंबामाता का मंदिर जिसमें गौमुखी, हनुमानधारा और कमंडल नामक तीन कुंड स्थित हैं।
दत्तात्रेय मंदिर
गिरनार पर्वत पर ‘दतात्रेय’ मंदिर अंतिम चोटी पर स्थित है। यह मंदिर देखते ही लगता है कि यह पर्वत की चोटी पर झूल रहा है। मंदिर से जुड़ी प्राचीन मान्यता है कि दतात्रेय देव का आशीर्वाद नवविवाहित जोड़ों के रक्षाकवच का काम करता है। पर्वत की जटिल चढ़ाई के बाद भी मंदिर के दरवाजे तक पहुंचने के लिए 2000 सीढ़ियां चढ़नी होती हैं।
श्री नेमीनाथजी मंदिर
सबसे अधिक विशाल और भव्य है श्री नेमीनाथजी का मंदिर। यहां से 1000 सीढ़ियाँ और चढ़ने पर गोमुखी गंगा दिखाई देती है।
बौद्धमठ
यहां एक बौद्ध मठ भी है। चट्टानों को काटकर गुफानुमा बने इस बौद्ध मठ में किसी समय बरसाती जल का भंडारण किया जाता था।
यहां पर महाराजाधिराज के रूप में पूजनीय हैं हनुमान
अन्य पर्यटन स्थल
गिरनार के पर्वतों की सुंदरता को निहारने के अतिरिक्त तीर्थयात्री जटा शंकर महादेव मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर, दामोदर कुंड, श्री स्वामीनारायण मंदिर, ऋषभदेव मंदिर और सोमनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। जैनों का तीर्थ गजेंद्र पदकुंड और बाबा गोरखनाथजी का धुना भी पर्वत शिखर पर अवस्थित है। पहाडों के असीम सौंदर्य के अलावा पर्यटक ट्रैकिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं।
कैसे पहुंचे
जूनागढ़ के गिरनार पर्वत की मनोरम प्राकृतिक छटा देखने आए पर्यटकों के लिए दीऊ एयरपोर्ट सबसे निकटतम हवाई अड्डा है। रेल यात्रियों के लिए जूनागढ़ रेलवे स्टेशन पास है। यहां से बस-टैक्सी की सुविधा हर समय उपलब्ध है।