हिमाचल प्रदेश की पार्वती घाटी में स्थित है खीरगंगा। मान्यता है कि खीरगंगा हिंदू धर्म का बेहद प्राचीन और महत्वपूर्ण मंदिर है। किवदंती है कि इस पवित्र स्थान पर भगवान शिव के बड़े पुत्र कार्तिकेय और माता पार्वती ने हज़ारों सालों तक तपस्या की थी। इसलिए यहां पर एक महादेव का मंदिर भी स्थापित है जिसमें भगवान शिव के साथ माता पार्वती, उनके पुत्र कार्तिकेय जी और भगवान गणेश संग नंदी जी की पूजा होती है। इस कारण यह मंदिर हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है।
खीरगंगा का नाम गंगा नदी पर पड़ा है। जिस तरह से गंगा नदी सफ़ेद है, उसी तरह खीरगंगा खीर की तरह प्रतीत होती है इसलिए इसका नाम खीरगंगा पड गया। यहाँ लोग दूर-दूर से ट्रैकिंग के लिए आते हैं। धार्मिक स्थल होने के अलावा खीरगंगा ट्रैकिंग और एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए भी मशहूर है।
12 किमी की चढ़ाई करने के बाद खीरगंगा पर स्थित गर्म पानी के कुंड हैं। ये पवित्र कुंड खीरगंगा की सबसे बड़ी खासियत हैं। इस कुंड में गर्म पानी बहता है। ठंडे-बर्फीले पहाड़ों में गर्म पानी का कुंड होना बड़े आश्चर्य की बात है। मान्यता है कि गर्म पानी के इस कुंड में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते हैं। इस कुंड में स्नान के बाद ही खीरगंगा में स्थित महादेव के मंदिर के दर्शन किए जाते हैं।
यहाँ दर्शन करने के लिए आने का सबसे अच्छा समय मई से दिसम्बर तक का है क्योंकि इसके बाद बर्फीला मौसम शुरू हो जाता है जिससे यात्रा करना बहुत ही जटिल हो जाता है। जनवरी से लेकर मार्च तक तो ये रास्ता पूरी तरह बंद रहता है। हालांकि, खीरगंगा तक पहुंचने के लिए आपको बर्शेनी गांव से ट्रैकिंग शुरु करनी पड़ेगी। इस स्थान तक पहुंचने के लिए कोई पक्का रास्ता नहीं है।
खीरगंगा का निकटतम हवाई अड्डा है भुंतार एयरपोर्ट है जोकि यहां से लगभग 45 किमी दूर है। खीरगंगा का समीपतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम रेलवे स्टेशन है जोकि यहां से 198 किमी की दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग से जाने के लिए बार्शेनी उतरना पड़ेगा। यहां से खीरगंगा तक 11 किमी तक का ट्रैक है।