मोक्ष की चाह में मनुष्य लाखों मुश्किलों का सामना कर हिमालय की दुर्गम पहाडियों में स्थित अमरनाथ गुफा के दर्शन करने को जाते हैं। पूरे संसार में शिव के अनेक धाम हैं लेकिन अमरनाथ सबसे अधिक पूजनीय है। इसी गुफा में भगवान शिव ने अपनी पत्नी देवी पार्वती को अमरत्व का मंत्र सुनाया था। मृत्यु को जीतने वाले मृत्युंजय शिव अमर हैं और उनकी भक्ति में लीन हजारों भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन को जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि भोले बाबा बड़े भोले स्वभाव के हैं, वे अपने द्वार पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं।
दैवी चमत्कारों से निर्मित शिवलिंग देखने को हर किसी का मन लालायित रहता है और जो देख लेता है वो धन्य हो जाता है। ये भक्तों की असीम आस्था ही है कि वे हिमालय की ऊंची पर्वत श्रृंख्लाओं को पार कर शिव के अमर स्थान को जाते हैं।
महत्व
मान्यता है कि अमरनाथ मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से एक है जहां देवी सती का कंठ भाग गिरा था। अमरनाथ गुफा में आकर भगवान शिव की आराधना करने से हजार गुणा फल प्राप्त होता है। किवंदती के अनुसार रक्षा बंधन की पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर स्वयं श्री अमरनाथ गुफा में पधारते हैं।
प्राकृतिक है शिवलिंग
अमरनाथ में हिमलिंग का बनना किसी चमत्कार से कम नहीं है। इस चमत्कार के आगे विज्ञान भी नतमस्तक है। है। शिवलिंग के अतिरिक्त आसपास की सारी बर्फ कच्ची होती है जो अचंभित करती है। शिव की पूजा वाले विशेष दिनों में बर्फ के शिवलिंग अपना आकार ले लेते हैं। कई रहस्यों भरी है शिव की अमरनाथ गुफा। चंद्रमा के घटने के साथ-साथ हिमलिंग भी घटने लगता है और जब चांद लुप्त हो जाता है तो शिवलिंग भी विलुप्त हो जाता है।
शिव के साथ-साथ इनका भी जरूर ले लें आशीर्वाद
अमरत्व की कथा
मां पार्वती के हठ करने पर शिव ने अमरत्व की कथा प्रारंभ करने से पहले भोलेनाथ ने नंदीनंदी, चंद्रमा, सर्प एवं पुत्र गणेश का परित्याग कर दिया। तीर्थों का तीर्थ कहे जाने वाले इस स्थान को भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य (जीवन और मृत्यु के रहस्य) बताने के लिए चुना था। जब भगवान शिव, मां पार्वती को अमरकथा सुना रहे थे तब उस गुफा में एक कबूतर का जोड़ा भी उपस्थित था जिसने वह पूरी कथा सुनी और हमेशा के लिए अमर हो गया। माना जाता है कि आज भी इन दोनों कबूतरों का दर्शन भक्तों को यहां प्राप्त होता है। इस तरह से यह गुफा अमर कथा की साक्षी हो गई व इसका नाम अमरनाथ गुफा पड़ा।
दर्शनीय स्थल
अमरनाथ पहुंचने वाले यात्री शेषनाग झील, पंचतरणी, पंचतरणी, सोनमार्ग, अनंतनाग में बोटानिकल गार्डन, खेरबावानी अष्टापन अष्टापन घूम सकते हैं। पर्यटक श्रीनगर में प्रसिद्ध डल झील, मुगल गार्डन आदि देख सकते हैं। जम्मू कश्मीर में भी कई दर्शनीय स्थल हैं।
कैसे पहुंचे
अमरनाथ यात्रा के लिए पहले से ही रजिस्ट्रेशन करवाना पड़ता है। यात्रा के लिए पहलगाम से जत्थे बनकर रवाना होते हैं। श्रीनगर सबसे निकटतम हवाई अड्डा है, यहां से 95 किमी की दूरी पर पहलगाम है। पहलगाम के समीप जम्मू रेवले स्टेशन पड़ता है। यहां से आपको टैक्सी–बस की सुविधा मिल जाएगी।