केरल के त्रिपुनितूरा में स्थित पूर्णात्रयेसा मंदिर भगवान विष्णु के संथना गोपाल मूर्ति के स्वरूप को समर्पित है। मान्यता है कि नि:संतान दंपत्ति इस मंदिर में पूजा-अर्चना करें तो उनकी मनोकामना की पूर्ति होती है। मंदिर के अंदर भगवान विष्णु बैठक की मुद्रा में पांच फण वाले अनंथन के ऊपर विराजमान हैं। भगवान विष्णु का ऐसा स्वरूप कहीं और देखने को नहीं मिलता। पूर्णात्रयेसा मंदिर, केरल के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस पवित्र मंदिर में दक्षिण की ओर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है। माना जाता है कि पांडव पुत्र अर्जुन ने इस मंदिर की स्थापना की थी। 1900 के दशक की शुरुआत में भीषण अग्निकांड के बाद मंदिर को फिर से बनवाया गया और उसका जीर्णोद्धार किया गया।
मंदिर में 5 बार पूजा का नियम है। यह मंदिर 1000 वर्ष प्राचीन है और इसकी मान्यता श्रद्धालुओं के बीच काफी अधिक है। पूर्णात्रयेसा मंदिर में रंगों से भरे त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। मुख्य रूप से नवंबर-दिसंबर के दौरान वृश्चिकोलत्सवम त्योहार मनाया जाता है जिसमें हर साल बड़ी संख्या में भक्त मंदिर के दर्शन को आते हैं।
केरल के इस मंदिर में होता है अपंग लोगों का इलाज
दर्शनीय स्थल
केरल के मनोरम वातावरण में घूमने का मजा ही अलग है। केरल के तटवर्ती शहर कोच्च्चि को अरब सागर की रानी कहा जाता है। अपने स्वादिष्ट मसालेदार भोजन और नारियल के पेड़ों के कारण प्रसिद्ध कोच्च्चि भारत के मुख्य पर्यटन स्थलों में से एक है। समुद्र के किनारे बसे इस हरे-भरे शहर की प्राकृतिक सुंदरता अनोखी है। पर्यटकों के बीच केरल पसंदीदा स्थलों में से एक है। यहां सुंदर पहाडियों से लेकर मनभावन बीच हैं जो बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। इसके अतिरिक्त त्रिपुनितूरा हिल पैलेस, चक्कानकुलानगुरा मंदिर, सीताराम काली मंदिर, गणेश मंदिर, हनुमान मंदिर, पल्लियिल थरावदु मंदिर, मुकुटिल भगवती मंदिर, श्री मुरगन मंदिर आदि के दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
केरल के त्रिपुनितूरा पहुंचने के लिए कोच्चिन एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है। नजदीकी त्रिपुनितूरा रेलवे स्टेशन है। यहां से बस-टैक्सी सुविधा उपलब्ध रहती है।