महाराष्ट्र के नासिक में ब्रह्म गिरि पर्वत पर त्र्यम्बकेश्वर-मन्दिर में भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु जी के स्वरूपों के दर्शन होते हैं। शिव के अन्य ज्योतिर्लिंगों से भिन्न इस पवित्र स्थान में सृष्टि के तीनों देवता लिंग रूप में विराजमान हैं। ब्रह्मगिरी से निकलने वाली गोदावरी की जलधारा इन त्रिमूर्तियों पर अनवरत रूप से पड़ती रहती है। ब्रह्मगिरि पर्वत के ऊपर जाने के लिए सात सौ सीढ़ियों का निर्माण कराया गया है। ऊपरी पहाड़ी पर रामकुण्ड’और लक्ष्मणकुण्ड’नामक दो कुण्ड भी स्थित हैं।
स्थापत्य कला और प्राचीनता
हिंदू धर्म में त्र्यंबकेश्वर मंदिर अत्यंत प्राचीन मंदिरों में से एक है। काले पत्थरों से निर्मित इस मंदिर का स्थापत्य अद्भुत है। त्र्यंबकेश्वर मंदिर की भव्य इमारत सिंधु-आर्य शैली का उत्कृष्ट नमूना है। त्र्यम्बकेश्वर-मन्दिर में केवल ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य समुदाय के लोगों को जाने की अनुमति है। यहाँ स्थित ज्योतिर्लिंग का प्रत्यक्ष दर्शन स्त्रियों के लिए निषिद्ध है, अत: वे केवल भगवान के मुकुट का दर्शन करती हैं। इनसे अतिरिक्त लोगों को बाहर से ही मन्दिर का दर्शन करना पड़ता है। मंदिर के निकट स्थित कुशावर्त कुंड में स्नान का बड़ा महत्व है।
अन्य दर्शनीय स्थल
नासिक में पर्वत पर स्थ्िात त्र्यंबकेश्वर मंदिर के अतिरिक्त नील पर्वत और ब्रह्म गिरि पर्वत पर ट्रैकिंग का मजा ले सकते है। जहां वनवास के समय राम, सीता और लक्ष्मण रहे थे उस पंचवटी के दर्शन कर सकते हैं। यहां अंजानेरी, राम लक्ष्मण तीर्थ, गोरखनाथ गुफा, केदारेश्वर मंदिर, गंगद्वार, कलाराम मंदिर, पांडवलेनी गुफा, सीता गुफा, नवश्या गणपति मंदिर, धाम मंदिर, रामकुंड, जैन मंदिर, सोमेश्वर मंदिर, कपिलेश्वर मंदिर, बालाजी देवस्थान, सुंदर नारायण मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं।
शनि देव की कृपा पाने के लिए जरूर करें इस मंदिर के दर्शन
कैसे पहुंचे
महाराष्ट्र के नासिक शहर के पहाड़ी इलाके के त्र्यंबकेश्वर मंदिर के दर्शन करने के लिए नासिक का गांधीनगर हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। नजदीकी रेलवे स्टेशन, नासिक रोड़ रेलवे स्टेशन है। यहां से बस-टैक्सी की सुविधा हर समय उपलब्ध रहती है।