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बालेश्वर मंदिर

चंपावत का बालेश्‍वर मंदिर कलात्‍मकता और सर्वोत्‍तम शिल्‍पकला का उत्‍कृष्‍ट नमूना है। कहा जाता है कि बालेश्‍वर मंदिर में स्‍थापित शिवलिंग पर जलाभिषेक करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान की प्राप्ति होती है। शिवलिंग के दर्शन मात्र से ही भक्‍त आत्‍मलीन हो जाते हैं। यह मंदिर अकेला मंदिर न कहकर एक शिल्प समूह कहा जा सकता है। ये मंदिर हिंदू देवी बालेश्वर, रत्नेश्वर और चंपावती दुर्गा को समर्पित है। मंदिर में विभिन्न रूपों में देवी-देवताओें के साथ नृत्य करती सुंदरियों, अप्सराओं तथा तात्कालिक प्रचलित पशु-पक्षियों को कामुक रूपों में दर्शाया गया है। इसके परिसर में श्रृंगार करती ‘चम्पा’ के साथ-साथ कई अन्य मंदिर हैं जिनमें अनेक प्रकार की कलात्मकता देखने को मिलती है।

मंदिर स्‍थापना काल

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण चन्द शासन काल में करवाया गया था। किवंदती है कि राजा सोमचंद ने खजुराहो शैली में बालेशवर मंदिर का निर्माण १०-१२ ईसवीं शताब्दी में करवाया।

मुख्‍य आकर्षण एवं महत्‍व

शिव के चमत्‍कारिक इस मंदिर का मंडप चार खंभों पर टिका हुआ है जिनके नीचे सहस्त्रा ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। पत्‍थरों के साथ तराशी गई विभिन्‍न मूर्तियों के साथ ही क्रीडारत 64 योगनियों की मूर्ति शिल्‍पकारों ने बड़ी खूबसूरती से उकेरी हैं। ठोस व कलात्मक ढंग के उत्तम पत्थरों से निर्मित इस मंदिर में राजसत्ता का प्रभाव निर्माण शैली पर दिखाई देता है । ऊपरी शिखर के ठीक नीचे मंदिरों के गर्भगृह बनाए गए हैं। इसके बारे में ऐसी मान्यता है कि इस शैली के सभी मंदिर कैलाश पर्वत की कल्पित आकृतियों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। मंदिर की अनूठी कलाकि‍तृयों में पशुओं की क्रीड़ाएं और उनकी मनोदशाओं का वर्णन प्रमुख रूप से मिलता है। इस मंदिर में शिल्पांकित कलाकृतियों में मानव सभ्यता एवं संस्कृति के क्रमिक विकास का संपूर्ण रहस्य उद्भाषित हुआ है। सावन के महीने में भगवान शिव के दर्शन को सैंकड़ों भक्‍तों की भीड़ उमड़ पड़ती है।

अन्‍य पर्यटन स्‍थल

शिल्‍पकला की अद्भुत मिसाल बालेश्‍वर मंदिर के दर्शन को आए तीर्थयात्री नागनाथ मंदिर, लोहाघाट, देवीधुरा, एक हथिया का नौला, क्रांतेश्‍वर महादेव, मायावती आश्रम, वनासुर का किला, पुर्णागिरी मंदिर, ग्‍वाल देवता, आदित्‍य मंदिर, चौमू मंदिर, पटल रूद्रेश्‍वर, मीठा-रीठा साहेब घूम सकते हैं।

कैसे पहुंचे

काठगोदाम निकटतम रेलवे स्‍टेशन है, यहां से कैब बुक कर चंपावत पहुंच सकते हैं। पिथौरागढ़ का नैनी सैनी एयरपोर्ट यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है, जो चंपावत से 80 किमी दूर है। इसके अलावा पंतनगर एयरपोर्ट से भी चंपावत पहुंचा जा सकता है। दोनों ही एयरपोर्ट से चंपावत के लिए टैक्सी आसानी से मिल जाती है।

अन्‍य मंदिर

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