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मनसा देवी

हरिद्वार की पावन भूमि पर स्थित मनसा देवी अत्‍यंत प्राचीन और प्रसिद्ध सिद्धपीठों में से एक है। मनोरथ पूर्ण करने के कारण ही माता मनसा के नाम से जाती हैं। भगवान शिव के वरदान से कश्यप ऋषि की मानस पुत्री के रूप में जन्मीं मनसा देवी जिनका पालन नागराज वासुकी ने किया था। मां मनसा देवी नागों की देवी हैं जिन्होने नागवंश व जगत्कारू वंश का उद्धार किया था। मां मनसा के चमत्कारी प्रभाव के कारण ही हर वर्ष लाखों भक्त माता के दरबार में आते हैं। संतान सुख, धन, कार्य यश सबकुछ माता के आर्शिवाद से प्राप्त हो जाता हैं। जिन्हे सर्प भय हैं वे माता के दर्शन मात्र से निर्भय हो जाते हैं।

मुख्‍य आकर्षण और महत्‍व

मनसा मंदिर में देवी की मूर्ति के पांच मुख और दस भुजायें हैं। देवी का एक ऐसा धाम है, जहां दर्शन मात्र से और जिनका नाम लेने भर से भक्तों की मन्नतें पूरी हो जाती हैं। प्रमुख रूप से कृष्णपक्ष पंचमी के दिन घर के आंगन में नागफनी की शाखा पर मनसा देवी की पूजा करने से विष का भय नहीं रह जाता। मान्‍यता है कि इनके सात नामों जरत्कारू, जगतगौरी, मनसा, सियोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जगतकारुप्रिया, आस्तिकमाता और विषहरी के जाप से सर्प का भय दूर हो जाता है।

प्रचलित कथा

मां मनसा देवी कश्‍यप ऋषि की पुत्री थी। थी। ऋषि के मन से पैदा होने के कारण वह मनसा के नाम से प्रसिद्ध हुईं। इसी मनसा नामक कन्या की रक्षा के लिये हलाहल ने प्राण त्यागे। इन्हें कश्यप की पुत्री तथा नागमाता के रूप में माना जाता था तथा साथ ही शिव पुत्री, विष की देवी के रूप में भी माना जाता है।

अन्‍य पर्यटन स्‍थल

उत्‍तराखंड में स्थित मनसा देवी मंदिर के निकट कई सुंदर पर्यटन स्‍थल हैं जैसे हर की पौड़ी,  बिरला घाट, चांदी देवी मंदिर, दक्ष महादेवी मंदिर, शांति कुंज, गायत्री परिवार, सप्‍त ऋषि आश्रम, माया देवी मंदिर, वैष्‍णो देवी मंदिर, पावन धाम और विष्‍णु घाट के दर्शन कर सकते हैं।

कैसे पहुंचे 

मां मनसा देवी के दर्शन को आए यात्रियों के लिए हरिद्वार रेलवे स्‍टेशन सबसे निकट है। देहरादून में स्थित जौली ग्रांट निकटतम हवाई अड्डा है। इससे आगे जाने के लिए बस-टैक्‍सी की सुविधा हर समय उपलब्‍ध रहती है।   

अन्‍य मंदिर

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