मां दुर्गा का छठा रूप है मां कात्यायनी। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने कात्यायन की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसी कारण से इनका नाम मां कात्यायनी पड़ा।
सिंह में सवार मां कात्यायनी बेहद सुंदर दिखाई देती हैं। इनका मुख मंडल सोने के जैसा चमकदार है। इनकी चार भुजाएं हैं जिसमें एक पहली भुजा आशीर्वाद की मुद्रा में है, दुसरी भुजा खाली है, तीसरी भुजा में कमल का फूल है और चौथी भुजा में तलवार है।
जब पृथ्वी में महिसासुर का आतंक बहुत बढ़ गया था तो ब्रह्मा विष्णु और महेश ने मां कात्यायनी को अपनी आंशिक शक्तियां दी। जिसके बाद माता के इस स्वरूप ने महिषासुर को मृत्यु दंड दिया।
सौदर्य और सृजन की प्रतीक मां कात्यायनी की पूजा करने से परिवार व वंश वृद्धि होती है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले हर व्यक्ति को मां की स्तुति व आराधना अवश्य करनी चाहिए। मां के आशीर्वाद से सौदर्य से परिपूर्ण स्वस्थ्य संतान की प्राप्ति अवश्य होती है। संपूर्णता की यह देवी अपने साधक को हर प्रकार से संपूर्ण बनने का आशीष देती हैं।
छठे नवरात्र पर मां कात्यासनी की पूजन विधि पढ़ें
नवरात्रि से पावन और शक्तियों से भरपूर समय कोई दूसरा नहीं होता। इन नौ दिनों के दौरान की गई आराधना और प्रार्थना विशेष फल देने वाली होती है। इसलिए अपने प्रिय पाठकों के लिए AstroVidhi.com ने इस नवदुर्गा में विशेष अनुष्ठान करने और इस नौ दिन के अनुष्ठान में मां के चरणों में 1001 नवदुर्गा यंत्र रखकर उन्हें अभिमंत्रित करके लोगों तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।
इस अनुष्ठान की शुरूआत पहले नवरात्र (10 अक्टूबर) को सुबह 11 बजे से शुरू होगा। इस अनुष्ठान में कोई भी फेसबुक के द्वारा शामिल हो सकता है। और यदि आप इस अनुष्ठान में विभिन्न फल प्राप्ति के लिए संकल्प लेकर पूजा करवाना चाहते हैं तो उसके लिए मात्र 2100/- रू की सहयोग राशि देकर अपना स्थान नियत करवाना होगा।
माता के चरणों में आपके नाम से जो अर्जी लगाई जाएगी वह विश्व प्रख्यात ब्रहाम्ण पं. सूरज शास्त्री द्वारा सम्पूर्ण वेदिक नियमों के अनुसार होगी। जिनके साथ जाने-माने ज्योतिषाचार्य आचार्य रमन भी होंगे।
अपने जीवन से कष्टों को दूर करके मनवांछित फल प्राप्त करने का इससे बेहतर समय कोई और नहीं है। इसलिए नवरात्र की इस पूजा में आप AstroVidhi.com के साथ शामिल हों, माता के चरणों में स्थापित अभिमंत्रित नवदुर्गा यंत्र की अपने घर में स्थापना करें और अपने कष्टों से मुक्ति पाएं।
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