अरुणाचल प्रदेश में चीन की सीमा से लगते तवांग मठ देश का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है। इसका निर्माण 1681 में मेराक लामा लोदरे ग्यात्से ने करवाया था। यह पिछले 400 सालों से इलाके के इतिहास का गवाह बना हुआ है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह स्थान प्रमुख आस्था का केंद्र है। तवांग मठ का नाम एशिया के दूसरे सबसे बड़े मठ के रूप में प्रसिद्ध है। यहां हर साल बड़ी संख्या में लोग आते हैं। यह मठ इस क्षेत्र के लोगों के आध्यात्मिक जीवन का केंद्र है। मठ की दीवारों पर बौद्ध धर्म के संत और गुरूओं की नक्काशी की गई है। मठ आए श्रद्धालुओं को तवांग-चू-घाटी के रोमांचक और सुरम्य दृश्य देखने को मिलते हैं। किले जैसे दिखने वाले इस मठ का स्वरूप अद्भुत है। 700 भिक्षुओं के आवास की क्षमता वाले इस मठ का मुख्य आकर्षण इसका अद्भुत रूवरूप है। तवांग मठ में युवा भिक्षुओं को शिक्षा दी जाती है।
अन्य दर्शनीय स्थल
तवांग मठ से प्रकृति का मनोरम दृश्य मंत्रमुग्ध करता है। ऊंचे पहाडों और ठंडी बहती नदियों के बीच पर्यटकों को खूब मजा आता है। यहां पर अनेक स्थल हैं जो प्राकृतिक सुंदरता के पास ले जाते हें। दोंग घाटी पर्यटकों के लिए बेहद सुंदर उपहार है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता अविस्मरणीय है। हरे-भरे वातावरण से घिरी ग्लो झील आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा छगलोगम, वालोंग, हवा कैंप, तेजू बोटानिकल गार्डन और तेजू पार्क घूम सकते हैं।
कैसे पहुंचे
एशिया के दूसरे सबसे बड़े तवांग मठ पहुंचने के लिए तेजपुर हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। नजदीकी रंगपारा रेलवे स्टेशन है। यहां से बस-टैक्सी सुविधा उपलब्ध रहती है।