धरती पर भगवान कृष्ण के निवास स्थान के नाम से प्रसिद्ध द्वारिकाधीश भक्तों के लिए एक महान तीर्थ है। कहा जाता है कि यहां चाँदी के सिंहासन पर भगवान कृष्ण के हाथों में शंख, चक्र, गदा और कमल धारण किए श्यामवर्णी चतुर्भुजी प्रतिमा विराजमान है। ऐसी किन्वदंती है कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने यादव परिवारों सहित मथुरा से पलायन के बाद 5000 वर्ष पूर्व द्वारका की स्थापना की थी। द्वारका नगरी आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देश के चार धामों में से एक है। यही नहीं द्वारका नगरी पवित्र सप्तपुरियों में से भी एक है। जिस स्थान पर उनका स्वयं का महल ‘हरि ग्रह’ था, वहां आज प्रसिद्ध द्वारिकाधीश मंदिर है।
द्वारिका नगरी में मंत्रमुग्ध कर देने वाले श्रीकृष्ण के कई सुंदर मंदिर दर्शनीय हैं जो उस समय भगवान श्रीकृष्ण की लीला को दर्शाते हैं। श्रद्धालुओं की ऐसी मान्यता है कि चारों धामों के साथ इन पवित्र पुरियों के दर्शन करने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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मंदिर का आकर्षण एवं महत्व
समुद्र की लहरों से घिरा द्वारिकाधीश मंदिर का अद्भुत सौंदर्य देखते ही बनता है। मंदिर के आसपास समुद्र की बड़ी-बड़ी लहरें उठती हैं और इसके किनारों को इस तरह धोती है, जैसे इसके पैर पखार रही हों। आकर्षक निर्माण शैली से निर्मित इस मंदिर के उत्तर में मोक्ष द्वार और दक्षिण में स्वर्ग द्वार प्रमुख हैं। शिखर पर लहराता बहुरंगी ध्वज मंदिर की भव्यता में चार चांद लगाता है। मुख्य मंदिर के पास त्रिविक्रम भगवान और राजा बलि की मूर्ति विराजमान है। मंदिर में मां अम्बा की सुंदर मूर्ति के साथ दक्षिण में काले रंग की एक मूर्ति स्थापित है, जिसे प्रद्युम्न जी की मूर्ति कहते हैं। वहां बलदेव जी एवं अनिरुद्ध की मूर्ति भी है। मंदिर में भगवान की बनीं सभी मूर्तिर्यां इतनी सुंदर हैं कि वह किसी का भी मन मोह लें। जन्माष्टमी का पर्व श्रीकृष्ण की नगरी में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
अन्य पर्यटन स्थल
भगवान श्रीकृष्ण की राजधानी द्वारिका नगरी में द्वारिकाधीश मंदिर के अतिरिक्त और भी कई सुंदर दार्शनिक स्थल हैं जो यहां स्वयं श्रीकृष्ण के होने का अहसास दिलाती हैं। द्वारिकाधीश मंदिर के समीप पंचतीर्थ हैं जहां पांच कुओं के जल से स्नान करने की परम्परा है। नागेश्वर शिव मंदिर, ज्यार्तिलिंग मंदिर, बेट द्वारिका, रूक्मणि मंदिर, गोमती घाट, रणछोड़ जी मंदिर और नगर के बाहर रत्नेश्वर महादेव, सिद्धनाथ महादेव, ज्ञान कुण्ड, दामोदर कुण्ड, भागीरथी घाट, कृकलास कुण्ड और सूर्यनारायण मंदिर दर्शनीय हैं।
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कैसे पहुंचे
द्वारिकाधीश के दर्शन के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा पोरबंदर, गुजरात है। रेल मार्ग से द्वारका रेलवे स्टेशन से आगे बस-टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।