कर्नाटक के कोल्लूर में स्थित मूकाम्बिका मंदिर वास्तुकला के चमत्कार के रूप में माना जाता है। घने जंगलों के मध्य शानदार पर्वत श्रृंखला के सामने स्थित यह मंदिर सात मुक्तिस्थलों में से एक है। मूकाम्बिका मंदिर को कोलापुरा के 'आदि महालक्ष्मी' मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर कर्नाटक और केरल राज्य के लोगों के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थानों में से एक है। सौपर्णिका नदी के तटों और हरी-भरी कोडचद्री पहाड़ी से घिरे इस मंदिर का वातावरण अत्यंत सुरम्य है। किंवंदतियों के अनुसार भगवान परशुराम द्वारा निर्मित इस मंदिर में देवी पार्वती ने मोकासुर नामक एक असुर का वध किया था इसलिए इसका नाम मूकाम्बिका रखा गया।
मंदिर का प्रमुख आकर्षण
पहाड़ी इलाके के इस सुंदर एवं भव्य मंदिर में एक ज्योतिर्माया लिंग स्थित है जिसके बीच में एक स्वर्ण रेखा है जो शक्ति का एक चिन्ह है। कहते हैं कि छोटा हिस्सा जागृत शक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है जोकि ब्रह्मा, विष्णु और शिव के त्रिमूर्ति रुप का आदर्श रूप है और बड़ा हिस्सा सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी के रचनात्मक स्त्री बल का प्रतीक है। इस ज्योतिर्लिंग के पीछे स्थित देवी मूकाम्बिका की सुंदर धातु की मूर्ति को श्री आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था। इस प्राचीन मंदिर में एक पवित्र सिद्दी क्षेत्र भी है जिसके साथ कई कहानियां जुड़ी हुई हैं। मंदिर में प्रमुख रूप से नवरात्रि में सरस्वती पूजा आयोजित की जाती है जिसमें सैकड़ों तीर्थयात्री आते हैं।
अन्य दर्शनीय स्थल
कोल्लूर की सुंदर पहाडि़यों और कलकल बहती नदियों का मनोरम दृश्य यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसके अतिरिक्त कोल्लूर में सरस्वती मंटप, वीरभद्र स्वामी मंदिर, बालमुरी गणपति मंदिर, सुब्रमण्य स्वामी मंदिर, चौदेश्वरी मंदिर, मरणाकट्टे, गरूड गुहा आदि के दर्शन कर सकते हैं। पहाड़ों और नदियों के बीच होने के कारण इन स्थलों का प्राकृतिक सौंदर्य अविस्मरणीय है।
कर्नाटक के इस मंदिर में देवी पार्वती ने किया था असुर का वध, करें दर्शन
कैसे पहुंचे
कर्नाटक के कोल्लूर में स्थित मूकाम्बिका मंदिर पहुंचने के लिए मैंगलोर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निकटतम एयरपोर्ट है। नजदीकी कुंदपुरा रेलवे स्टेशन है। यहां से कोल्लूर के लिए बस-टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है।