दक्षिण भारत के राज्य केरल में सबरीमाला में स्थित अय्यप्पा स्वामी मंदिर करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। भगवान अयप्पास्वामी को समर्पित इस मंदिर को मक्का-मदीना की तरह विश्व के सबसे बड़े तीर्थ स्थानों में से एक माना जाता है। मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में रह रहकर यहां एक ज्योति दिखती है। इस ज्योति के दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। बताया जाता है कि जब-जब ये रोशनी दिखती है इसके साथ शोर भी सुनाई देता है। इस खास घटना को देखने के लिए हर साल अय्यप्पा मंदिर आने वाले भक्त मानते हैं कि ये देव ज्योति है और भगवान इसे जलाते हैं। धर्म सृष्टा के नाम से प्रसिद्ध भगवान अयप्पा को वैष्ण्वों और शैवों के बीच एकता के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन्होंने अपने लक्ष्य को पूरा किया था और सबरीमाला में इन्हें दिव्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। अय्यप्पा का एक नाम 'हरिहरपुत्र' है यानी हरि (विष्णु) और हर (शिव) के पुत्र। माना जाता है कि अय्यप्पा भगवान शिव और विष्णु अवतार मोहिनी के पुत्र थे। 914 मीटर की ऊंचाईं पर स्थित इस मंदिर की चढ़ाई पैदल ही करनी पड़ती है। तीर्थयात्रा के आरंभ होने के अवसर पर मंदिर में करोड़ों रूपयों का चढ़ावा चढ़ता है। मंदिर में सभी जाति और धर्म के लोगों के प्रवेश की अनुमति है किंतु 10 से 50 वर्ष की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित है।
स्थापना काल
पौराणिक मान्यता है कि सबरीमाला में भगवान अयप्पा ने धरती पर मानव रूप में जन्म लिया था जिसका लालन-पालन राजा पंडालम ने किया। युवावस्था में भगवान अयप्पा सब कुछ त्याग कर जंगल की ओर चले गए थे। जिसके बाद राजा पंडालम ने इस मंदिर का निर्माण अपने पुत्र की याद और भक्ति में करवाया था।
अन्य दर्शनीय स्थल
केरल के मनोरम वातावरण में घूमने का मजा ही अलग है। समुद्र के किनारे बसे इस हरे-भरे शहर की प्राकृतिक सुंदरता अनोखी है। केरल के सबरीमाला में अरनमुला मंदिर, पेरियार झील, अब्राहम स्पाइस गार्डन, वेट्टुवन कोइल, मल्लिकापुरम देवी मंदिर, हनुमान मंदिर जैसे अनेक स्थल हैं जो पर्यटक देख सकते हैं।
कैस पहुंचे
केरल के सबरीमाला पहुंचने के लिए तिरूअनंतपुरम एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है। नजदीकी थिरूवल्ला और चेंगनूर रेलवे स्टेशन हैं। यहां से बस-टैक्सी सुविधा उपलब्ध रहती है।