भारत के मध्य प्रदेश में स्थित शहर खजुराहो अपने अनेक अलंकृत मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। खजुराहो में देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। संभोग की विभिन्न कलाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के साथ उभारा गया है। यह भारत में ताजमहल के बाद सबसे ज़्यादा देखा जाने वाला पर्यटन स्थल है। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीच चन्देल राजाओं द्वारा किया गया। ब्रिटिश इंजीनियर टी एस बर्ट की खोज के बाद खजुराहो के मंदिरों के एक विशाल समूह को ‘पश्चिमी समूह’ का नाम दिया गया।
यह समूह खजुराहो के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। खजुराहो के सभी मंदिरों की बाहरी दीवारों पर कामुकता से भरी मूर्तिकला को दर्शाया गया है। इन मन्दिरों में 10 मंदिर विष्णु को समर्पित हैं, जिसमें उनका एक सशक्त मिश्रित स्वरूप वैकुण्ठ शामिल है। नौ मन्दिर शिव, एक सूर्य देवता, एक रहस्यमय योगिनियों (देवियों) के और 5 मन्दिर दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के तीर्थकारों के हैं। ये मंदिर शैव, वैष्णव तथा जैन संप्रदायों से सम्बंधित हैं।
खजुराहो के विभिन्न मंदिर
‘पश्चिमी समूह’ में लक्ष्मी मंदिर, वराह मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, कंदरिया महादेव मंदिर, सिन्ह मंदिर, देवी जगदम्बा मंदिर, सूर्य (चित्रगुप्त) मंदिर, विश्वनाथ मन्दिर, नन्दी मंदिर, पार्वती मंदिर शामिल हैं। वहीं पूर्वी समूह को दो भागों में बांटा गया है। इस श्रेणी के प्रथम चार मंदिरों का समूह प्राचीन खजुराहो गांव के नजदीक है। दूसरी श्रेणी में जैन मंदिर, घंटाई मंदिर, नजदीक ही वामन और जायरी मंदिर भी दर्शनीय स्थल हैं। खजुराहो के दक्षिण भाग में दो मंदिर हैं एक भगवान शिव का दुलादेव मंदिर और दूसरा विष्णु जी का चतुर्भुज मंदिर। खजुराहो के मंदिरों को देखने के बाद तीन संग्रहालयों को देखा जा सकता है जिनमें जैन, राज्य और भारतीय पुरातत्व विभाग का संग्रहालय दर्शनीय है। अन्य पर्यटन स्थलों में कालिंजर और अजयगढ़ का दुर्ग भी आप देख सकते हैं।
मध्य प्रदेश आएं तो जरूर देखें सुप्रसिद्ध खजुराहो के मंदिर
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग से खजुराहो पहुंचने के लिए खजुराहो एयरपोर्ट और रेलवे यात्रा के लिए खजुराहो रेलवे स्टेशन, मध्य प्रदेश सबसे निकटतम साधन है। इसके आगे टैक्सी-बस की सुविधा सुगमता से उपलब्ध है।