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Rameshwaram

शिव के प्रति राम भक्ति की अलौकिक स्‍मृति है दक्षिण में स्थित रामानाथास्‍वामी मंदिर। वैसे तो भारत में कई मंदिर हैं जो अपनी विशेषताओं के कारण प्रसिद्ध हैं किंतु दक्षिण में स्थित रामेश्वरम् मंदिर की सुंदरता अविस्‍मरणीय है। समुद्र की गोद में बसा एक बेहद खूबसूरत दर्शनीय स्थल होने के साथ साथ तीर्थ स्थल भी है रामेश्‍वरम् का रामनाथास्‍वामी मंदिर। चारों ओर से सागर से घिरा यह मंदिर अपने आप में कई रहस्‍य और विचित्रता को समेटे हुए है। इस मंदिर की स्‍थापना स्‍वयं श्रीराम ने की थी, उन्‍होंने स्‍वयं इस रामेशवरम् ज्‍योतिर्लिंग की स्‍थापना कर वहां पूजा की थी इसलिए इस ज्‍योतिर्लिंग की विशेष महिमा है। हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से घिरा यह सुंदर द्वीप चेन्‍नई से लगभग सवा चार सौ मील दूर रामनाथपुरम जिले में है। रामेश्‍वरम् का रामनाथास्‍वामी मंदिर जहां यह ज्‍योतिर्लिंग स्‍थापित है वह निर्माण कला और शिल्‍पकला का बेजोड़ संगम है। इस  शिवलिंग के जो दर्शन करेगा, वह पापों से मुक्त होकर कैलाश पर वास करेगा। यह मंदिर विश्व के बेहतरीन कलात्मक शैली और आस्थाओं से सराबोर मंदिरों में से एक है।

रामेश्‍वरम् के दर्शनीय स्‍थल

रामेश्‍वरम् शहर

प्राकृतिक सौंदर्य की अनूठी मिसाल है रामेश्‍वर शहर। पूरा शहर समुद्र से घिरा हुआ है जो पर्यटकों को आकर्षित करता है। सीपें, शंख और कोड़ियाँ आदि यहाँ समुद्र में बहुत मिलती हैं। अगर आप रामेश्वरम् आने की सोच रहे हैं तो यहां समुद्र में सफ़ेद रंग का बड़ियास मूंगा भी आपको मिलेगा।

बाईस कुंड

रामनाथ मंदिर में पहले 24 कुंड थे परंतु किसी वजह 2 कुंड सूख गए जिनमें अब बस 22 बचे हुए हैं। इस कुंड की मान्‍यता है कि यहां पर स्‍नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं। यह कुण्ड पवित्र तीर्थों में से एक है।

यात्रा का रथ

रामेशवरम् में शिव जी के साथ मां पार्वती की भी दो मूर्तियां विराजमान हैं। शिव और पार्वती की प्रतिमाओं की प्रत्येक वर्ष शोभा यात्रा निकाली जाती है। इस अवसर पर सोने और चांदी के वाहनों पर भगवान शिव और पार्वती को बैठाकर उनकी सवारी निकाली जाती है।

रामसेतु

लंका पर आक्रमण के समय समुद्र को पार करने के लिए श्रीराम ने जो पुल बनाया था वह रामसेतु के नाम से प्रसिद्ध है।

सीताकुंड

कहा जाता है कि अपना स्‍तीत्‍व सिद्ध करने के लिए सीता जी ने इसी स्‍थान पर अग्नि कुंड में प्रवेश किया था। सीता जी के प्रवेश करते ही कुंड में अग्नि बंद हो गई और जल की वर्षा हुई। तभी से यह कुंड सीता कुंड के नाम से जाना जाता है।

अन्‍य दर्शनीय स्‍थल

रामेश्‍वरम् में कई दार्शनिक स्‍थल हैं जैसे पार्वती मंदिर, हनुमान मंदिर, सेतुमाधव, कोदंडाराम स्वामी मंदिर, विल्लीरणि तीर्थ, कोरल रीफ, अग्नि तीर्थ, धनुषकोटि, तिरुपलानी मंदिर आदि जो श्रद्धालुओं को अपनी ओर बरबस ही खींच लेते हैं।

कैसे पहुंचें 

रामेश्‍वरम् जाने के लिए आप रेल और हवाई मार्ग का प्रयोग कर सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले आपको चेन्नई जाना पड़ेगा। उसके बाद चेन्नई से आप दक्षिण रेलवे या टूरिस्‍ट बसों से रामेश्‍वरम् जा सकते हैं। 

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