हिंदू धर्म के सबसे पवित्र घाटों में से एक है हरिद्वार की हर की पौड़ी जहां स्नान करने से जन्म जन्म के पाप धुल जाते हैं। सैकडों वर्षों से लोग मोक्ष की तलाश में इस पवित्र भूमि में आते रहे हैं। हरि के द्वार पर स्थित है हर की पौड़ी। यह वह स्थान है जहाँ गंगा नदी पहाड़ों को छोड़ने के बाद मैदानों में प्रवेश करती है। किवंदती के अनुसार इस जगह पवित्र अमृत कलश की कुछ बूँदें गिरी थीं। इस स्थान पर बड़ी संख्या में भक्त कुछ प्रथाओं जैसे कि ‘मुंडन’ एवं ‘उपनयन’ को पूर्ण करने के लिए आते हैं। हर की पौड़ी का सबसे पवित्र घाट ब्रह्मघाट है। हर की पौड़ी की सबसे खास बात यहां रोज शाम को हाने वाली मां गंगा की आरती है जिसे देखने दूर-दूर से भक्त आते हैं। हजारों दीपकों के साथ गंगा की आरती के पश्चात् पानी में दिखाई देती दीयों की रोशनी हजारों टिमटिमाते तारों की तरह लगती हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए हरिद्वार स्वर्ग जैसा है। प्रत्येक 12 वर्ष के पश्चात यहाँ ‘कुंभ मेले’ का आयोजन किया जाता है जिसे देखने के लिए कई हज़ार भक्त यहाँ आते हैं।
स्थापना इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार यह पवित्र घाट राजा विक्रमादित्य ने पहली शताब्दी ईसा पूर्व में अपने भाई भ्रिथारी की याद में बनवाया था। मान्यता है कि भ्रिथारी हरिद्वार आया था और उसने पावन गंगा के तटों पर तपस्या की थी। जब वह मरे, उनके भाई ने उनके नाम पर यह घाट बनवाया, जो बाद में हरी- की- पौड़ी कहलाया जाने लगा। माना जाता है कि भगवान विष्णु ने एक पत्थर पर अपने पग-चिन्ह छोड़े है जो हर की पौडी में एक ऊपरी दीवार पर स्थापित है, जहां हर समय पवित्र गंगाजी इन्हें छूती रहतीं हैं।
प्रमुख पर्यटन स्थल
हरिद्वार में स्थित हर की पौड़ी में डुबकी लगाने आए श्रद्धालु मनसा देवी मंदिर, बिरला घाट, चांदी देवी मंदिर, दक्ष महादेवी मंदिर, शांति कुंज, गायत्री परिवार, सप्त ऋषि आश्रम, माया देवी मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, पावन धाम और विष्णु घाट के दर्शन कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे
हरिद्वार रेलवे स्टेशन सबसे निकट है। देहरादून में स्थित जौली ग्रांट निकटतम हवाई अड्डा है। इससे आगे जाने के लिए बस-टैक्सी की सुविधा हर समय उपलब्ध रहती है।