यमुनोत्री पवित्र यमुना नदी का उद्गम स्थल है और चारधाम यात्रा का पहला पड़ाव है। श्रद्धालु अपनी तीर्थयात्रा का आरंभ यमुनोत्री में डुबकी लगाकर ही करते हैं। इस धाम का आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। यहां सूर्यपुत्री एवं शनि व यम की बहन देवी यमुना की आराधना होती है। प्राचीन मान्यता अनुसार कपाट बंद होने के दिन यमुनोत्री के तप्त कुंड में स्नान करने से यम यातना से मुक्ति मिलती है। समुद्रतल से 3165 मीटर ऊंचाई पर अवस्थित यमुनोत्री धाम से एक किमी दूर चंपासर ग्लेशियर है, जो यमुना जी का मूल उद्गम है। यमुना की पवित्रता के कारण हर साल गर्मियों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ यमुनोत्री में डुबकी लगाने को उमड़ पड़ती है। यहां यमुना की पूजा अर्चना करने से दीर्घायु प्राप्त होती है और मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति करता है। किवंदती है कि असित मुनि की पर्णकुटी इसी स्थान पर थी। यमुनोत्री में सूर्य कुंड सबसे महत्वपूर्ण गर्म पानी का फव्वारा माना जाता है। 'प्रसाद' तैयार करने के लिए चावल और आलू को एक मलमल के कपड़े में रखकर गर्म झरने के उबलते पानी में डुबोकर पकाया जाता है। यमुनोत्री की गगनचुंबी, मनोहारी, बर्फीली चोटियां तीर्थयात्रियों को सम्मोहित कर देती हैं।
यमुनोत्री का मंदिर
यमुनोत्री का मुख्य मंदिर यमुना देवी को समर्पित है। अत्यंत दुर्गम मार्ग के कारण देवी का मंदिर पहाडी के तल पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण टिहरी गढवाल के महाराजा प्रताप शाह द्वारा किया गया था यमुनोत्री मंदिर के प्रांगण में 'दिव्य शिला' नामक पत्थर का एक पवित्र शिला स्तंभ है। भक्त यमुनोत्री मंदिर में जाने से पहले दिव्य शिला की पूजा करते हैं।
कब जाएं
मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलते हैं और दीपावली के दिन मंदिर बंद होते हैं। यमुनोत्री मंदिर में भी मई से अक्टूबर तक श्रद्धालुओं का अपार समूह हरवक्त देखा जाता है। शीतकाल में यह स्थान पूर्णरूप से हिमाछादित रहता है।
अन्य पर्यटन स्थल
यमुनोत्री पहुंचे यात्री हनुमान चट्टी, जानकी चट्टी, खरसाली, बरकोट, दोड़ीताल, सप्तऋषि कुंड जैसे कई दर्शनीय स्थल देख सकते हैं।
कैसे पहुंचे
यमुना के उद्गम स्थान के दर्शन करने के लिए देहरादून स्थित जौली ग्रांट एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है। गंतव्य के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और देहरादून रेलवे स्टेशन हैं। इसके अलावा, पास के शहरों से यमुनोत्री के लिए बस सेवाएं उपलब्ध हैं।